सुमंत पंड्या वर्ष 1970 में राजनीतशास्त्र विभाग , राजस्थान विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त करने के बाद , लगभग चार दशक बनस्थली विद्यापीठ में राजनीतिशास्त्र विषय के अध्यापन के बाद अपने आवास गुलमोहर मे जीवन संगिनी मंजु पंड्या के साथ जयपुर में रहते हैं. सभी नए पुराने दोस्तों और अपनी असंख्य छात्राओं से भी संपर्क बनाए हुए हैं. फेसबुक और ब्लॉग की दुनियां इसमें मददगार होगी यह आशा रखते हैं .
बनस्थली में एक साल काम करने के बाद मुझे ये घर मिला था . जब तक परिसर में रहा वहीँ रहा . कितनी छोटी छोटी बातें हैं उस जमाने की जो यदा कदा आज भी याद आ जाती हैं . कितने अतिथि साधिकार वहां आए और रहे वो स्मृतियों की चित्रशाला में आज भी बसे हैं . उसी चित्रशाला का एक दृश्य आज प्रस्तुत करता हूं .
पूरा मकान :
ये उस जमाने की बात है जब पक्के मकान थोड़े थे परिसर में . मांग ज्यादा थी मकानों की , मकान उस अनुपात में कम थे . मुझे तो पूरा मकान अलाट हो गया था सिर्फ इस लिए कि बीते सत्र में मेरा विवाह हो गया था और मुझे गृहस्थ मान लिया गया था , उस बाबत भी फिर कभी बताऊंगा , उसी दौर में अकेले अकेले लोगों को दो दो तीन तीन को एक साझा मकान मिलता था .