आज का मेरा भारत
Harish Kumar Kanabar is government servant by choice, critic by nature and comedian by instinct. Harish is a commerce post graduate from Nagpur University. At present he's working as Suprintendent CGST at Nagpur.
भारत मेरा देश है। सभी भारतीय मेरे भाई बहन है।
भारत एक कृषि प्रधान देश भी है। भारत की ७०% जनता कृषि पर निर्भर है। कृषि को आयकर से छूट है। आयकर के दर की बात करना हमे मनाही है।
इस देश के कुछ प्रतिशत लोग केवल नाम के किसान है, इनकी आय करोड़ों में है। इन्हें आयकर नही लगता है।इनके पास और भारत की अन्य जनता के पास काफी काला धन है। यह काला धन स्विस बैंक में जमा है उसमें १५ लाख रुपये रामलाल जी के भी है, ४ साल से उस पर ब्याज भी जमा हो रहा है। परंतु यह कब मिलेंगे यह पता नहीं।
सन २०१६ की नोट बंदी में आशा थी कि काला धन समाप्त हो जायेगा। देश की भलाई के चक्कर मे लोगों ने बहुत तकलीफ सही। GDP की वाट लग गई, लोगों के घर उजड़ गए। छोटे धंदे बन्द हो गए। कई लोग बगैर दवाई के मर गए।
मगर अब पता चला है कि वास्तव में नोटबन्दी तो टैक्स कंप्लायंस बढ़ाने के लिए लागू की गई थी और उसका काले धन से कोई सम्बंध नहीं था। रामलालजी के १५ लाख अब सुरक्षित हैं। ६००० करोड़ नए नोट छापने का खर्चा कोई बड़ी बात नहीं और यह भी बात अलग है कि वेतन शुदा कर्मचारी जिनकी टैक्स लिमिट २.५ लाख तक है इस देश का सबसे बड़ा टैक्स कमप्लायंट क्लास है। चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी भी पूरा टैक्स भरते हैं।
आय की विवरणी देरी से भरने पर इन्हें दंड भी लगता है परंतु कुछ व्यापारी हमेशा व्यवसाय में घाटा दिखाते हैं और टैक्स तो छोड़ो देश का पैसा ही लेकर भाग जाते हैं। इस प्रकार देश मे विभिन्न प्रकार के गढ़े हो रहे हैं। इस देश को गढ़े प्रिय हैं। गढ्ढो को भी देश प्रिय है।
- हरीष कुमार कानाबार
Comments
Sir, you've got an awesome
Sir, you've got an awesome sense of humour!
Good satire sir..you
Good satire sir..you addressed all major issues in this small post..few things left which are Fuel prices touching new heights, commodities/transport/vegetables/living cost increasing day by day but inflation still below two digits, Rupee at ventilator, EXIM become very risky and unpredictable business, economy at it's worst rather I would say at wrong hands who never been an economist...etc-etc.
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