Pain and poetry in the Himalayas

Author: 
Nancy Ganjoo Singh
Nancy Ganjoo Singh

Nancy Ganjoo Singh is a resident of her home town Srinagar in Kashmir.

Nancy is a dreamer with a passion and a nature lover. She is a strong believer in the Almighty whose omnipresence is felt by her in every walk of life and everything in nature bestowed upon us by the Almighty.

Besides many other areas of special interest, Nancy is a poet and a writer as well. Having lost her husband to an illness a couple of years ago, she pours her pain into her poetry.

Poems:--

  1. एहसास
  2. धड़कन
  3. Pain
  4. Despair
  5. Hope amidst Pain
  6. Woods
  7. उपहार
  8. विरह
  9. अनमोल

एहसास

नूर की बूँद की तरह निर्मल
एक एहसास है ,जो देता है दिल को सुकून ,
न इसे छू पाओ ,न पहचान सको,
बस धड़कते दिल से इसे महसूस करो
इक ऐसी कशिश है ये ,जो होती किसी एक से है,
ख़्यालों में वो आते है , सिहरन बदन में लाते है
वो प्यार के पल चाहे छोटे ही क्यों न हो ,
पर ज़िन्दगी बन जातें है ,
बस इक शब्द प्यार है यह


धड़कन

यह दिल धड़कता अब भी तुम्हारे नाम से है ,
क्या हुआ ग़र दूर हो तुम ,
रहते तो अब भी मेरे दिल में ही हो,
बस छू ही तो नहीं पाती हूँ तुम्हें ।
हर पल मेरे एहसास में तो हो।
नज़रें वो तुम्हारी करती है अब भी मेरा पीछा ,
छुप छुप कर उन नज़रों को पड़ लेती हूँ मैं,
सजती भी थी तो तुम्हारे लिए ही ,
वो बिंदिया ,वो कंगन ,वो काजल
सब तुम्हारे नाम का ही तो था
डाँट देती हूँ इन कम्बख़्त नजरों को
क्यों बरबस बरस पड़ती है यह
सावन की घटाओं की तरह
बस ख़ुद को मना लेती हूँ
वो पास नहीं पर एहसास में तो है ।


Pain

Intense it is like the rain in monsoon
Runs through the veins of body
Engulfing the soul,
Tears flow like the streams of river,
Shrieking pain in the core of heart,
Rips the soul apart,
A kiss of solace comes through,
Calming the gush of rush,
Soft touch of your love,
Keeps me sane in the maze of lane


Despair

Days of despair, days of hope,
Gloomy thoughts though keep galore
Yet rejuvenating hope keeps us shore.
Humans flow through the creek of desire
They seldom not know where to fly,
Starved bellies yet satiated egos,
Keeps the hopes afloat.
Cosmos in chaos yet sprouting seeds flourishing abound
Venerable past giving way to virgin thought.


Hope amidst Pain

When I was in pain,
You kept me sane,
When storms hovering on the zenith,
Your arms held me hard,
Drops of mist of love
Kept me merged
In ocean of deep slumber

I try to keep myself afloat ,
In the storms of pain
To swim the shore.


Woods

In the woods, on serpentine roads
I walk through jungles in the beautiful moon light.
Listening to music of nature, buzzing of birds
Soft winds kissing my face,
I dreamt of dreams in dream.
Soaked in love of beloved,
Rain of his love drenched my soul,
I breathed his love in and out
Flying on the wings of love
I flew higher and higher.


उपहार

नयन सी मैं तुम्हारी,
तुम मही सागर के गीत हो ,
तुम प्रीत हो मैं प्यास हूं
तुम चांद की नरम छांव हो
सन सना के आई थी पवन
देने हमें उपहार एक
पुलकित हुआ वो पुष्प जो
बन के देवदार है ।

नींद से ज़कोरा इक आंधी ने
उड़ा ले गई उस प्यार के सागर को
दामन था प्यार से भरा हुआ
पर अधूरा ख्वाब रहा
तुम सपनों में आते हो
बस छू के चले जाते हो ।

इंतज़ार है अब उस पल का
जब मिलन हो सदा के लिए
ना बिछड़ने का ग़म हो
ना जुदाई का खौफ हो ।


विरह

विरह की अग्नि कुछ ऐसी तक़दीर में छायी ,कि जिसमें जल गयी मेरी परछाई।
कब मिले , कब बिछड़े ,फैली रही स्याही ।

कभी प्रेम की फुहार ने ऑचल भिगोया ,तो कभी मिलन की मस्ती में नाचती रही
मेरी हर अँगड़ाई ।

मिलन की बरखा में तन भीगा भी न था,
कि विरह की दस्तक फिर दी सुनाई।

ऐसी दी दस्तक, कि दूर ले गई पी को बहा के ,
आसमा से आगे ,जहाँ से परे ।

तन्हाई है अब साथी, बरबस है आँखें
इक आस है मिलने की उनसे ,इस जहाँ के आगे,
उस जहाँ से परे, जहाँ मिलन हो कभी न बिछड़ने के लिए।


अनमोल

कुछ रिश्ते होते है अनमोल ,जिनका होता नहीं है कोई मोल
मिट के भी न मिटा सको जिसे ,
बहता है हर साँस में वो
लहू की हर बूँद में उसका निशा ,
भोर भये या शाम ढले ,
होंठों पे हैं उनका नाम
नजाने कितने जन्मों का है यह बन्धन ,
न जाने कितनी बार मिले ,कितनी बार बिछोह की विरह सही.
यह विरह भी हम सह लेंगे
मिलेंगे फिर इक बार तुम्हें
इस जहां से परे ,उस गगन के तले
जहां न हो मिल कर बिछोह कभी
मेरे हम सफ़र , बस इन्तज़ार है अब उस पल का मुझे


Nancy on a walk with yellowing maple leaves blowing in the wind.

Nancy on a walk with yellowing maple leaves blowing in the wind.

Comments

My sincere heartfelt thanks to Subhash ji for giving me this platform to open my heart and pen down my inner feelings . I am deeply indebted and humbled by this gesture.
Thanks
Nancy

Poetry is way over my head - but so glad that you have found this way to express your emotions.

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