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बचपन के दिन भी क्या दिन थे
Babu Lal Soni was born in 1954 and brought up in Beawar, Rajasthan. After obtaining a Masters degree in Zoology from Government College, Ajmer, he joined the Department of Customs and Central excise in March 1977 as Inspector.
From mid-2001 to March 2002 he was on deputation with the International Narcotics Control Bureau in Vienna, Austria. From August 2003 to March 2007 he was on deputation with the United Nations Office on Drugs and Crime as Project Coordinator for Precursor Chemical Control at Tashkent, Uzbekistan. In 2012 he took voluntary retirement from civil service as Additional Commissioner. He is currently engaged as technical advisor to the New Delhi-based publication, GST Law Times.
Babu Lal lives in Jaipur with his wife, Sushila, who is an expert cook and religious-minded.
Babu Lal has keen interest in photography. He loves listening to music. Lately, he has shown an inclination towards drawing and painting as well.
बचपन ... यह शब्द अपने आप में कितना सुंदर व मीठा लगता हैं. सुनते ही मन पुरानी यादों में खो जाता हैं. अगर बचपन दुबारा जीनें का मौका मिले तो फिर कहना ही क्या!
Babu Lal Soni at St. Xaviers School, Jaipur summer art camp with his grandchildren.
सेंट ज़ेवियर स्कूल, भगवान दास रोड, जयपुर में प्रतिवर्ष बच्चों के लिए वार्षिक परीक्षा के बाद समर कैंप का आयोजन किया जाता हैं, जिसमे उन्हें कई प्रकार की कलाओं के बारे में सिखाया जाता हैं, जेसे कि: Calligraphy, पेंसिल व पेन स्केचिंग, फोटोग्राफी, ऐक्रेलिक पेंटिंग, इत्यादि.
गत वर्ष मैंने अपनी दोहिती, कात्यायिनी के साथ सेंट जेवियर स्कूल में समर कैंप में भाग लिया था. उस समय मैने फोटोग्राफी व Calligraphy के कोर्स में प्रवेश लिया था. मुझे बचपन में cut nib व लकड़ी की कलम से सुलेख लिखने का बहुत शौक था. आज बाज़ार में जेल पेन, पायलट पेन व बाल पेन आने के बाद से इंक पेन का प्रयोग लगभग बंद सा हो गया हैं, परन्तु अभी भी मैं इंक पेन से लिखना पसंद करता हूँ. इन्ही कारणों से मैं Calligraphy सीखने के लिए आकर्षित हुआ. मैंने Italics फोंट में calligraphy का अभ्यास किया था. किसी ने सही कहा हैं : ‘Calligraphy is music to the eyes’.
Ink pen calligraphy by Babu Lal Soni at St. Xaviers School, Jaipur children's summer art camp.
1980 में मैंने अपने छोटे भाई से मिले Nikon SLR Manual कैमरा से फोटोग्राफी सीखना शुरू किया. अपनी फोटोग्राफी स्किल्स को आगे बढ़ाने के लिए मैने फोटोग्राफी कोर्स में भाग लिया.
पिछले वर्ष की भांति, इस वर्ष भी मैंने अपनी दोहितियों, कात्यायिनी व भव्या के साथ सेंट जेवियर स्कूल में समर कैंप में भाग लिया. यह मेरे लिए एक बहुत ही अच्छा मौका था कुछ और नया सीखने का. बचपन में मुझे ड्राइंग व पेंटिंग करने का बहुत शौक था और उम्र के इस पड़ाव में आकर इसे दुबारा शुरू करना मेरे लिए एक बहुत ही सुखद अनुभव रहा. मैं बचपन की यादों में चला गया और मुझे अपना बचपन दोबारा जीने का अवसर मिला. बच्चों के साथ बिताए गए यह पल मुझे उम्र भर याद रहेंगे. सुबह-सुबह जल्दी तैयार होना, अपना बैग तैयार करके नाश्ता साथ में लेकर स्कूल जाना अपने आप में बहुत आनंद दायक अनुभव था. मेरा यह मानना हैं के सीखने की कोई उम्र नहीं होती. हमें जीवन भर कुछ न कुछ नया सीखने का प्रयास करते रहना चाहियें, जिससे हमें हमारे जीवन में खालीपन महसूस न हो और हमें नई उर्जा व नया मकसद मिल सके.
Water colour painting of a sailboat by Babu Lal Soni at St. Xaviers School, Jaipur children's summer art camp.
इस वर्ष समर कैंप का आयोजन 21 मई से 3 जून तक किया गया था. इसमें मेरे अलावा Calligraphy, स्केचिंग व ऐक्रेलिक पेंटिंग के कोर्स में करीब 40 बच्चों व Calligraphy में 5 टीचर्स ने हिस्सा लिया था. इस वर्ष मैंने पेन स्केचिंग व वाटर कलर पेंटिंग सीखने का निश्चय किया. बचपन से ही मुझे प्रकृति के प्रति बेहद लगाव है. मुझे पहाड़, नदियां, समुंद्र, झरने इत्यादि के साथ समय व्यतीत करना बहुत पसंद है. इसी कारण से मैंने इस वर्ष एक्रेलिक पेंटिंग की जगह वाटर कलर पेंटिंग सीखने का निश्चय किया क्योंकि उसमें पहाड़, नदियां, समुंदर इत्यादि को अच्छी तरह से दर्शाया जा सकता हैं.
पेन स्केचिंग के मेरे टीचर श्री मेल्विन सर थे तथा वाटर कलर पेंटिंग के अध्यापक श्री नदीम सर थे. कक्षा में जाने पर छोटे-छोटे बच्चों के मध्य बैठकर कुछ सीखना और बच्चों को ऑब्जर्व करना, बच्चे कैसे लगन से अपने काम में जुटे हैं, बच्चों के बीच में सीखना और उनके व्यवहार को अनुभव करना, मेरे लिए एक पॉजिटिव वातावरण का निर्माण किया और मुझे वापस बचपन में ले गया और मुझे उस समय यही ख्याल आया कि बचपन के दिन भी क्या दिन थे... हंसते खेलते दिन भर... और कोई लौटा दे मेरे बचपन के दिन....
स्केचिंग में मेल्विन सर खुद स्केच बनाकर मुझे सिखाते और उसी स्केच को देखकर मैं स्केच बनाता था.
Pen sketching by Babu Lal Soni at St. Xaviers School, Jaipur children's summer art camp.
वाटर कलर पेंटिंग में नदीम सर मुझे समझाते कि कैसे पेंटिंग करनी चाहिए कैसे कलर कॉम्बिनेशन रखना चाहिए और फिर गूगल व पिंटरेस्ट (Pinterest) पर दिखाई हुई पेंटिंग्स को मॉडल बनाकर उन्होंने मुझे पेंटिंग बनाना सिखाया. मेरी बनायी पेंटिंग्स में नदीम सर ने सुधार भी किया.
कई वर्षों के बाद स्केचिंग व पेंटिंग दुबारा सीखना शुरू करने में शेड्स बनाने, वाटर कलर मिक्स करने व ब्रश को सही ढंग से इस्तेमाल करने में शुरुआत में कुछ कठिनाई महसूस हुई, परन्तु मेल्विन सर व नदीम सर के प्रोत्साहन व निर्देशों के कारण से मेरी झिझक जल्दी ही दूर हो गई और मुझे इनमें आनंद आने लगा.
समर कैंप के समाप्त होने के पश्चात भी मैने Calligraphy, फोटोग्राफी, पेन स्केचिंग, व वाटर कलर पेंटिंग सीखना जारी रखा हैं. इसमें गूगल, You Tube व Pinterest से मुझे बहुत सहायता मिल रही हैं और मेरा कुछ नया सीखने का जज्बा आज भी कायम हैं.
मैं कात्यायिनी व भव्या द्वारा बनाई गई एक्रेलिक पेंटिंग के फोटोग्राफ्स भी आप लोगों के साथ शेयर कर रहा हूं. धन्यवाद.
Painting of a forest on a full moon night by Babu Lal Soni's grandchild at St. Xaviers School, Jaipur children's summer art camp.
Painting of Shri Krishna by Babu Lal Soni's grandchild at St. Xaviers School, Jaipur children's summer art camp.
Editor's Note: Babu Lal Soni's summer art camp teacher, Melven Castelino, has written a tribute to his own teacher: Father Mani – the doyen at Xavier’s Jaipur.
Comments
Learning is life-long
Such an engrossing story ... learning is life long, though what we lear changes over time. Congratulations, sire, on your achievements.!
हमारे अंदर का बच्चा कभी ख़त्म
हमारे अंदर का बच्चा कभी ख़त्म नहीं होता। मौक़ा मिलते ही क़ैद से बाहर आ जाता है। हमारी hobbies फ़ुल्फ़िल होने से energize महसूस करते है।
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