नए साल में ..

Author: 
Shailesh Kumar

Shailesh is a History graduate from Delhi University and a post - graduate in Hindi Literature from JNU.

As a student Shailesh was closely associated with Professor Namwar Singh . He  has written a book called Namwar ke Notes - class notes of Namwar Singh  on Sanskrit Poetics

.Shailesh has also compiled a book called Alochna Anukramnika which is a catalogue of all the works published in famous literary magazine ‘Alochna’ during the period 1951-2019.

Shailesh jots down his musings   mostly in his dairy. Some of his penned writings are showcased occasionally through Facebook or personal greetings.

Shailesh is an officer of 1997 batch from Indian Revenue Service.

नए साल में ..

रेल की दो पटरियों की तरह

चल रहे हैं

समानान्तर

हम सब

और

खाली नहीं बची है

बीच की कोई जगह भी।

वहाँ भी ट्रैफिक जाम है

नए साल के संदेशो से।

क्योंकि

अब कोई दूरी - फासला

बचा ही नहीं

नजदीक-दूर- मित्र- परिवार

भाई - बहन - पति- पत्नी- बच्चे

सब भेज रहे हैं एक दूसरे को संदेशे

यहाँ तक कि

फेसबुक पर दे रहे है

अपने ही बच्चे को शुभकामनाएँ।

ऐसे में

जरुरी नहीं कि आप तक पहुँचे मेरा संदेश

पहली ही तारीख को

या आप पढ़ ले

पहली को ही

संभव है

थोड़ी देर हो जाए

मेरे भेजने या

आपके पढ़ने में

पर

अब

अब लगने लगा है कि

रुकना जरुरी है

अंधाधुंध स्पीड में

खोती जा रही है

चेहरों की पहचान

मिटते जा रहे हैं

नाम-पते-ठिकाने

कुंद पड़ती जा रहीं

स्मृतियों की रेखाएं

याद नहीं आता

कब मिले थे पहली बार

या कभी मिले भी कि नहीं

या बस फेसबुक से जुड़ा था नाता

पता नहीं

कब फोन करके पूछा था

हाल-चाल

आखिरी बार

कब हँसे थे साथ-साथ

कब रोए थे

कंधे पर रखकर सर

या कि

कब चले थे

साथ-साथ

बिना किसी मतलब के।

इसलिए लगता है

जरुरी है कि

थोड़ा सुस्ता लूँ

ताकि

बचा सकूँ अपने आप को

स्मृति भ्रंश से।

भले ही

समय लगे

पर संदेश भेजने से पहले

याद कर सकूँ

वह एक लम्हा

जिया हो जो हमने साथ साथ

वह एक याद

जिसमें बची हो

संबंधों की महक

वह एक तस्वीर

जिसमें अभी भी बाकी हो

धुंधलाती ही सही

चेहरे की चमक।

 

 

 

 

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