प्रधानाचार्य मनोज जी सर

Author: 
भावना सिंह

Bhawana Singh is a Class V student at Saloni International Academy, village Chak Charanwas, district Jaipur, Rajasthan. This is a rural, Hindi-medium school about 45 km from Jaipur city.

मेरा नाम भावना सिंह है। मैं सलोनी इंटरनेशनल अकैडेमी में पढ़ती हूँ। मेरे सभी अध्यापक सम्माननीय हैं। मैं मेरे सभी अध्यापकों को पसंद करती हूँ पर मैं सब से अधिक मनोज जी सर को पसंद करती हूँ। वे ३२ वर्ष के हैं और वो ही हमारी स्कूल के प्रधानाचार्य हैं। क्योंकि वो सभी बच्चों को समान रूप से प्यार करते हैं उनसे हम हमेशा लगातार मेहनत करके आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा मिलती है।

उनका मानना है कि हमें बिना फल की इच्छा किये अपना कर्म करते रहना चाहिए। फल देना भगवान का काम है और वे सदैव बच्चों के हित का कार्य करते रहते हैं। गरीब बच्चों की सहायता करते हैं। और वो बिल्कुल साधारण रहते हैं।

श्लोक

उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः ।

न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः ।।

अर्थात परिश्रम करने से ही कार्य पूरे होते हैं ना कि इच्छाओं से। जिस प्रकार सोते हुए शेर के मूहं में हिरण प्रवेश नहीं करता। अर्थात शेर को भी परिश्रम करना पड़ता है।

Essay by Bhawana Singh on Teachers' Day

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