दर्द
Vivek Shrivastava was born and brought up in Jaipur. He is a Science graduate but chose to do his masters in Economics. He has a Diploma in Functional Urdu from the National Council for Promotion of Urdu Language (NCPUL). At present he's in the third year of his law degree.
Vivek joined the Central Board of Excise & Customs and is presently posted as Superintendent GST. His expertise lies in enforcement of laws relating to money laundering and foreign exchange. He is a visiting faculty for Prevention of Money Laundering Act (PMLA) and Foreign Exchange Management Act (FEMA) at the Rajasthan Police Academy and the Central Detective Training Institute, Jaipur.
Vivek is a prolific writer of poems and stories, many of which have already been published in various journals. He’s associated with several poetic forums. He presented his story ‘Tyakta’ at World Hindi Secretariat at Mauritius which won the third prize of $100 and numerous other felicitations.
Vivek's flair for writing and speaking is well noted and he often anchors high-end functions. He currently resides in Jaipur with his parents, his wife, Rashi, and children, Rudransh and Shivansh.
एक भूला हुआ दर्द
फिर से उभर आया
एक पुरानी दुःखद याद
फिर याद दिला लाया |
बरसों से सहेजा था
जिससे बचाने को ख़ुद को
वो फिर सैलाब सा
उसे उजाड़ने चला आया |
क्या लेगा इम्तिहान
वो मेरे हौंसले का
मैं हूँ बना पत्थर का
या हूँ बना फ़ौलाद का
ये शायद वो फिर से
आजमाने चला आया |
ठहरती नहीं है आँधी
और न तूफ़ां ही
जानता हूँ मैं,या भूल गया
ये जाँचने चला आया |
निकला हूँ पहले भी बाहर
ग़र्दिशे वक़्त से मैं अक़्सर
वही बुलंदी ए हौंसला
सिखाने चला आया |
है ख़ुदा का ये बन्दा
ये दर्द क्या कर लेगा ?
निकल जाऊँगा इस ग़र्दिश से
चमकूँगा बन सितारा, फिर से |
है भरोसा अपने पे
माँ, बहन की दुआ पे
बीवी बच्चों की ख़ुशी पे
और अपने ख़ुदा पे।
ये दर्द क्या कर लेगा
दबे पाँव खिसकेगा।
Comments
Nice poem congrats Vivek
Nice poem congrats Vivek
Your poem
Congratulations Vivek ji nice poem
Nazm
Bahut Sundar,highly motivational.
Nazm
Bahut Sundar,highly motivational.
Poem By Vivek Srivastava
बेहतरीन रचना
👍👍👍👍👍
दर्द - श्री विवेक श्रीवास्तव जी द्वारा
पुरानी कहावत सिद्ध की। बड़ी बात कहने के लिये बहुत बड़े मौक़े का इंतज़ार नहीं किया। बस जब मौक़ा मिला सीधी सरल बात कह दी। बाद में उसकी गहराई और बड़प्पन समझ आते रहते हैं। वैसी ही कुछ बात जे व्यापक रूप से सभी तरह के दर्द पर कही जा सकती है!
शुभकामनाएँ 💐💐
दर्द - श्री विवेक श्रीवास्तव जी द्वारा
पुरानी कहावत सिद्ध की। बड़ी बात कहने के लिये बहुत बड़े मौक़े का इंतज़ार नहीं किया। बस जब मौक़ा मिला सीधी सरल बात कह दी। बाद में उसकी गहराई और बड़प्पन समझ आते रहते हैं। वैसी ही कुछ बात जे व्यापक रूप से सभी तरह के दर्द पर कही जा सकती है!
शुभकामनाएँ 💐💐
Bahut hi umda nazm hai.
Bahut hi umda nazm hai. Majboot banane ka ahsas karati hai.Honsala badhti hui.
Excellant
Excellant
Very nice👍
Very nice👍
Very nice 👌
Very nice 👌
दर्द की ऐसी व्याख्या पहली बार
दर्द की ऐसी व्याख्या पहली बार सुनी। 🌼
Nice one
Nice one
Bahut hi umda nazam hai.
Bahut hi umda nazam hai.
Bahut umda Nazm hai.
Bahut umda Nazm hai.
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